नागौर से सांसद हनुमान बेनीवाल लगातार संसद में सक्रिय भूमिका निभाते नजर आए हैं। 2019 से लेकर 2025 तक के सत्रों में उन्होंने सैकड़ों ऐसे सवाल उठाए, जो सीधे तौर पर जनता की समस्याओं, किसानों की परेशानियों, स्वास्थ्य सेवाओं, शिक्षा, जल संकट, रेलवे, सड़कों और सामाजिक न्याय जैसे मुद्दों से जुड़े थे। आंकड़ों से साफ है कि बेनीवाल ने संसद की प्रश्नावली प्रक्रिया को बेहद प्रभावी तरीके से इस्तेमाल किया है और हर सत्र में क्षेत्रीय व राष्ट्रीय स्तर के अहम विषयों पर सरकार से जवाब तलब किए हैं।
वर्षवार रिपोर्ट: किस साल कितने और कौन-से मुद्दे उठे?
2025
स्वास्थ्य, किसान, OBC आरक्षण, टोल, रेलवे, AIIMS जोधपुर, MSP, शिक्षा
2024
सड़क गुणवत्ता, Anganwadi Digitization, जल संरक्षण, कोर्ट केस, AYUSH, Food Parks
2023
ERCP, डॉक्टरों की कमी, जल प्रदूषण, MSP समिति, AIIMS सॉफ़्टवेयर
2022
Gas Subsidy, NH Declaration, Air Connectivity, Malnutrition
2021
MGNREGS, Punjab River Pollution, Street Vendors Act, Cotton Procurement
2020
Covid Assistance, Locust Attack, Group-D Recruitment, Police Equipment
2019
Railway Lines, Defence Corridors, PM-Kisan, AYUSH Institutes
कृषि और किसान—सबसे अग्रिम पंक्ति में रहे मुद्दे
MSP कानून से लेकर कृषि उपकरणों पर GST, किसानों के कर्ज माफ़ी, पान मेथी की खरीद, फसल उत्पादन लागत में बढ़ोतरी, टिड्डी हमलों से नुकसान और PM-FBY दावों के निपटान जैसे विषयों पर बेनीवाल ने विशेष रूप से सक्रियता दिखाई।
उन्होंने बार-बार इस बात पर जोर दिया कि किसान की आय केवल वादों से नहीं, बल्कि नीति-स्तर पर ठोस फैसलों से बढ़ेगी।
स्वास्थ्य क्षेत्र पर लगातार दबाव—AIIMS जोधपुर से लेकर कुपोषण तक
स्वास्थ्य मंत्रालय बेनीवाल के प्रश्नों का सबसे अधिक लक्ष्य रहा।
AIIMS जोधपुर में स्टाफ की कमी, अस्पतालों के संसाधनों की कमी, नर्सों और विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी, कैंसर इलाज, रेडियोआइसोटोप की उपलब्धता, NPCDCS कार्यक्रम, कोविड-काल में सहायता—इन सभी विषयों को उन्होंने विशेष प्राथमिकता दी।
कुपोषण और एनीमिया जैसे मुद्दों पर भी उन्होंने सरकार से सीधे जवाब मांगे।
जल संकट, नदियों का प्रदूषण और ERCP—राजस्थान का बड़ा एजेंडा
बेनीवाल द्वारा सबसे अधिक बार उठाया गया मुद्दा रहा Eastern Rajasthan Canal Project (ERCP)।
संसद तक लेकर गए सवालों में उन्होंने पूछा कि परियोजना कब राष्ट्रीय प्रोजेक्ट घोषित होगी।
इसके साथ ही सतलुज-बीयस नदी का प्रदूषण, यमुना जल बंटवारा और राजस्थान का भू-जल संकट भी लगातार उनके सवालों में शामिल रहा।
सड़क और रेलवे—कनेक्टिविटी सुधार पर जोर
FASTag आधारित वार्षिक पास, टोल प्लाज़ा पर अत्यधिक वसूली, टोल शुल्क समाप्त करने की मांग, दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे की तकनीकी खामियाँ, राजस्थान में राजमार्गों की गुणवत्ता—ये वह मुद्दे रहे जिन पर बेनीवाल ने कई बार सरकार को कटघरे में खड़ा किया।
रेलवे में नई लाइनों, दोहरीकरण, ट्रेनों के ठहराव और स्पीड सुधार जैसे स्थानीय मुद्दों को भी उन्होंने प्राथमिकता दी।
शिक्षा—ड्रॉप-आउट दर, स्मार्ट क्लास और कृषि शिक्षा पर फोकस
उन्होंने शिक्षा मंत्रालय से पूछा कि स्कूलों में ड्रॉप-आउट दर क्यों बढ़ रही है, सरकारी स्कूलों में स्मार्ट क्लासरूम की स्थिति क्या है, PM-SHRI योजना का फंड कितना मिला और कृषि विश्वविद्यालयों में कृषि कोर्स की उपलब्धता कैसी है।
KV–JNV में रिक्त पद और COVID-काल में शिक्षा पर पड़े असर को भी उन्होंने प्रमुखता से उठाया।
खनन, उद्योग और ऊर्जा—राजस्थान के संसाधनों पर सवाल
टंग्स्टन-लिथियम खनन, कोयला भंडार, वनक्षेत्र में खनन अनुमति, खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों का विस्तार, MSME इकाइयों की समस्याएँ और बिजली उपभोग—ये सभी प्रश्न उनके एजेंडे में शामिल रहे।
ये सवाल राजस्थान के खनिज और औद्योगिक भविष्य को लेकर महत्व रखते हैं।
न्याय व्यवस्था और प्रशासनिक सुधार पर भी बेनीवाल का जोर
लंबित मामलों का निपटारा, अदालतों में रिक्तियां, CBI और ACB से जुड़े मामलों की रिपोर्ट, POCSO केसों की पेंडेंसी, नए कानूनों के क्रियान्वयन—सांसद ने यह भी सुनिश्चित किया कि न्याय प्रणाली की हर कमी संसद के समक्ष रखी जाए।
रिपोर्ट का सार – जनता की असल समस्याओं को उठाने वाला सांसद
संसद में दिए गए प्रश्नों से यह साफ झलकता है कि हनुमान बेनीवाल कागजी राजनीति नहीं, जमीन की राजनीति करते हैं।
किसान, पानी, सड़क, अस्पताल, रेलवे, शिक्षा और स्थानीय उद्योग—इन सभी मुद्दों पर उन्होंने इतने बड़े पैमाने पर प्रश्न उठाए कि यह किसी भी सक्रिय सांसद के रिकॉर्ड में उल्लेखनीय माना जाएगा।
उनके सवाल न केवल सरकार को जवाबदेह बनाते हैं, बल्कि उनके क्षेत्र की आवाज़ को सीधे दिल्ली के फैसले लेने वाले मंच तक पहुंचाते हैं।
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