राजस्थान की धरती आस्था और विश्वास की शक्ति का प्रतीक मानी जाती है। इन्हीं धार्मिक स्थलों में से एक है बुटाटी धाम—नागौर जिले की डेगाना तहसील में स्थित एक चमत्कारी स्थान, जिसे लकवा से पीड़ित लोगों के लिए आशा की किरण कहा जाता है।
चतुरदास जी महाराज की तपोभूमि
बुटाटी धाम का केंद्र चतुरदास जी महाराज की समाधि है—जिन्होंने लगभग 500 से 600 वर्ष पूर्व इसी भूमि पर कठोर तपस्या की थी। कहा जाता है कि उनमें ऐसी आध्यात्मिक शक्ति थी कि उनके आशीर्वाद से लकवा जैसे असाध्य रोग भी ठीक हो जाते थे।

आज भी, यहाँ आने वाले भक्त नियमित रूप से सात दिनों तक आरती और परिक्रमा करते हैं। कई भक्त कहते हैं कि इस स्थान पर आने के बाद उन्हें “नए जीवन” का अनुभव होता है।
सात दिवसीय विशेष अनुष्ठान
मंदिर की परंपरा के अनुसार, भक्तों को यहाँ सात दिनों तक रुकना आवश्यक है। सुबह और शाम की आरती में भाग लेना, मंदिर की परिक्रमा करना और चतुरदास जी महाराज की समाधि पर ध्यान करना अनिवार्य माना जाता है।
मंदिर समिति भक्तों के लिए निःशुल्क भोजन और आवास की व्यवस्था करती है – ताकि कोई भी भक्त अपनी आस्था से वंचित न रहे।
बुटाटी धाम कहाँ स्थित है?
बुटाटी धाम नागौर जिले के डेगाना कस्बे से लगभग 52 किलोमीटर दूर स्थित है। निकटतम रेलवे स्टेशन रेन 19 किलोमीटर दूर है। और मेड़ता रोड जंक्शन है, जो लगभग 25 किलोमीटर दूर है। जयपुर, जोधपुर और अजमेर से आने वाले यात्री NH-58 राजमार्ग के माध्यम से यहाँ आसानी से पहुँच सकते हैं।
भक्तों के अनुभव – “आस्था ने दिया नया जीवन”
इस स्थान पर आने के बाद कई भक्तों ने अपने जीवन में परिवर्तन का अनुभव किया है। एक श्रद्धालु परिवार ने कहा, “हम अपने बेटे को यहाँ लाए थे, जो आंशिक रूप से लकवाग्रस्त था। सात दिनों की साधना के बाद, वह अब अपने पैरों पर खड़ा है।”
हालांकि चिकित्सा की दृष्टि से इसे चमत्कार नहीं माना जा सकता, लेकिन आस्था और सकारात्मक ऊर्जा ने हज़ारों लोगों के जीवन को बदल दिया है।
ताज़ा खबर – मंदिर प्रशासन का नया फैसला
हाल ही में, बुटाटी धाम मंदिर समिति ने प्रसाद के रूप में मखाना, नकली चाँदी और मिठाइयाँ चढ़ाने पर प्रतिबंध लगा दिया है। समिति के अनुसार, यह निर्णय स्वच्छता और धार्मिक पवित्रता बनाए रखने के लिए लिया गया है। मंदिर परिसर में सुरक्षा, स्वच्छता और व्यवस्था संबंधी नए नियम भी लागू किए गए हैं।
आस्था की शक्ति का एक जीवंत उदाहरण
बुटाटी धाम केवल एक धार्मिक स्थल नहीं है, बल्कि आस्था और चमत्कारों का संगम है। यहाँ आने वाला हर व्यक्ति एक ही भावना से भर जाता है— “विश्वास रखो, और तुम्हें आशीर्वाद मिलेगा।”
विज्ञान भले ही इसे पूरी तरह से न समझ पाए, लेकिन बुटाटी धाम की कहानी उन लोगों को आशा देती है, जो कभी जीवन से उम्मीद खो चुके थे।





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